Reader's BLOG POST -->>
As our Prime Minister, Mr. Narendra Modi, have announced that he is going to announce something incredible for the StartUps in India, a friend of mine, Ritesh Rangare, who have also published a Guest Post earlier on my Blog once again writes his own experiences regarding foundation of a Startup. This is a letter to Mr. Prime Minister and I hope it reaches to PMO so that he can get some inputs from this post. Do read what Ritesh has to say in his own words in Hindi, a language our PM loves communicating in.
माननीय प्रधानमंत्री जी ,
विषय : भारतीय स्टार्टअप कंपनियों को सरकारी मदत के लिए
मेरा नाम रितेश रंगारे है, मैं मध्य प्रदेश के एक छोटे से शहर सिवनी
का निवासी हूँ | ये शहर कितना छोटा इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है की भारत
के कुछ मुख्य दर्शनीय स्थालो से घिरा होने के बावजूद सिवनी को कोई जानता नहीं हैं
| मैंने अपनी पढाई NIT कालीकट से की है | इसके अलावा मैं एक अंग्रेजी नावेल “The
Evolution of an Inglorious Moron” का लेखक हूँ |
आपको पत्र लिखने का मुख्य कारण ये हैं कि कुछ समय पहले ही मैंने अपनी
जॉब छोड़ कर एक स्टार्टअप welento.com की शुरुवात की है और हर स्टार्टअप की तरह ही
मुझे इसे आगे बढाने में कुछ दिक्कतें आई | मेरा उद्देश्य मध्यप्रदेश के भोपाल जैसे
शहर से भी एक सफल कंपनी चलाने का है | बस शुरुवाती दौर पर भोपाल जैसे औसत शहर में
दिल्ली, बंगलौर जैसे बड़े शहरों की तरह स्टार्टअप का कोई क्रेज नहीं है | न यहाँ पर
लोगो इस तरह के किसी भी इनोवेटिव टेक्निकल स्टार्टअप आईडिया को सहारा देते है |
बहुत मुश्किल होती है लोगो को अपनी सोच और विज़न समझाने में | फिर भी मेरे जैसे कई
स्टार्टअप एक सपना देख कर कुछ कोशिश कर रहे है | और अपना वजूद बनाये हुए हैं |
इस स्टार्टअप की शुरुवात के लिए मेरे पास पर्याप्त पैसा नहीं था तो
मैंने सबसे पहला रास्ता वही अपनाया, जो हर नया व्यवसायी करता है, मैं बैंक तक गया,
लेकिन कोई भी बैंक किसी ऑनलाइन प्रोजेक्ट पर अपना पैसा लगाने को तैयार नहीं था
चाहे उन्हें किसी भी तरीके की सिक्यूरिटी क्यों न दे दी जाए | 2 महीने इसमें समय
बर्बाद करने के बाद मैंने कुछ सरकारी योजनाओं की तरफ ध्यान देना शुरू किया | पता
चला की लोन और रोजगार देने की बहुत सी योजनायें है लेकिन उनमे भी ऑनलाइन की कोई
भूमिका नहीं है | बाबुओं ने साफ़ बोल दिया की अगर आप कोई फैक्ट्री, प्लांट या
मनुफेक्टुरिंग यूनिट लगते है तो इतना लोन उपलब्ध है वो भी सब.सी.डी. के साथ |
मैंने उन्हें समझाने की कोशिश की की टेक्निकल स्टार्टअप की शुरुवात के लिए इस लोन
के 10% तक की ही जरुरत पड़ेगी लेकिन व्यवसाय इन ट्रेडिशनल बिज़नस से बड़ा किया जा
सकता है, लेकिन शायद मेरी बात उन्हें समझ नहीं आई |
इन पूरी सरकारी चीजो में मैंने 5 महीने से ज्यादा समय गवां दिया | तभी
किसी न्यूज़ पेपर में मुझे कुछ आंकड़े दिखे जिनमे लिखा था पिछले 10 सालो में भारत
में 18,000 स्टार्टअप शुरू हुए जिन्होंने टेक्निकल और
नॉन-टेक्निकल कुल ४ लाख से ज्यादा लोगो को रोजगार दिया | पिछले साल 2015 की स्टार्टअप कंपनियों ने ही 55 हजार करोड़ से
ज्यादा की फंडिंग जुटाई थी | ये तो जाहिर सी बात है के इन 18,000 कंपनियों में से सिर्फ 10% ही इस मुकाम तक
पहुच पाई होंगी जो आज अरबों की कंपनी हैं और जिनसे लाखों लोगो को रोजगार मिला, तो
सोच कर देखिये अगर ये अनुपात 80-90%
होता तो क्या होता? तो ये होता के हर राज्य में कुछ १०० स्टार्टअप कंपनियों
लाखों नए रोजगार निकाल रही होती और आज के युवा के रोजगार की बहुत बड़ी समस्या लगभग ख़त्म
हो सकती है | लेकिन ये 80-90% कंपनिया फ्लिप्कार्ट, फेसबुक जैसी कंपनी इसलिए नहीं बन पाती क्युकी
इनमे कुछ खामी रह जाती है जिनमे से एक मुख्य समस्या फंडिंग की होती | मुझे पता है
काफी सफल कंपनियों के फाउंडर मेरी इस बात से सहमत नहीं होंगे क्युकी अभी वो जिस
मुकाम पर है वहां से उन्हें ये परेशानी दिखाई नहीं देगी और उनका मानना होगा के
पैसा हर स्टार्टअप का समाधान नहीं है लेकिन यही बात उन स्टार्टअप से पूछिए
जिन्होंने सिर्फ आर्थिक परिस्तिथि के कारण अपना स्टार्टअप बंद कर दिया | हाँ इसमें
किस्मत, कड़ी मेहनत, जूनून, सही टीम, मैनेजमेंट, लगन जैसे बहुत से दुसरे और भी कारण
हैं |
मेरा कहना सिर्फ इतना है की कोई ऐसी सरकारी नीति बनायीं जाए तो
प्राइवेट सेक्टर की गति से तेजी से काम करके स्टार्टअप की मदत करे चाहे वो स्किल
डेवलपमेंट हो या फंडिंग | उसमे किसी भी तरीके का भ्रस्टाचार और सरकारी ढीलापन
शामिल ना हो जो “कर देंगे” , “देख लेंगे”, “हो जायेगा” बोल कर सिर्फ फाइल रोकने का
काम करे | क्यों न ऐसी युवा समिति गठित हो जो हर तरीके से स्टार्टअप को सहारा दे
चाहे वो बेबी स्टार्टअप हो या सेटल्ड | किसी भी स्टार्टअप या आईडिया को छोटा न
समझा जाये ताकि इससे सबसे कमजोर स्टार्टअप भी पूरे भरोसे के साथ एक बड़ी कंपनी
बनाने का सपना देख सके | क्या पता जिस स्टार्टअप को अनदेखा करके कोई इन्वेस्टर
फण्ड न कर रहा हो वही सबसे ज्यादा काबलियत रखता हो | क्युकी बात सिर्फ इन्वेस्टर
के नजरिये और उनकी रूचि की है | छोटे से छोटे स्टार्टअप को चलना सिखाया जाये जो
बड़ा हो कर उसी शहर या राज्य के हजारो युवाओं के लिए रोजगार पैदा कर सके |
अगर ऐसा हो गया तो सरकार की रोजगार देने वाली इस समस्या का काफी बड़ा
समाधान तो हम स्टार्टअप ही कर देंगे | इस बार हम सरकार से रोजगार नहीं मांग रहे |
हम ये कह रहे है क हमे सैकड़ो लोगो को रोजगार देने लायक बनाया जाए ताकि हम भी भारत
की अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने में अपना सहयोग आपको दे सके | हमे भी मौका दीजिये
की हम युवा सर उठा कर ये कह सके के हमारी सरकार हम युवाओं के सपनो को समझती है और
हम स्टार्टअप को दुनिया के बाकी स्टार्टअप से आगे बढ़ाने में कंधे से कन्धा मिला कर
चलना चाहती है |
सर इस पत्र को उन करोडो पत्रों की तरह अनसुना मत कीजियेगा | ये विनती
मेरे बाद आने वाले सभी स्टार्टअप के लिए है कि जो तकलीफ मेरे जैसे स्टार्टअप के
फेस की है वो और कोई नहीं झेले |
धन्यवाद
भारतीय स्टार्टअप समिति
जय
हिन्द
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