681st BLOG POST -->>
आज का दिन काफी अनोखा है! मेरा सौभाग्य है की मुझे पता है मैंने अपने ज़िन्दगी में पहली बार क्या बोला था। ये तोह निश्चित तौर पे आप भी सही तुक्का लगा ही चुके होंगे की वो कुछ हिंदी में ही बोला हुआ होगा क्यूंकि मैं हिंदी भाषाई हूँ। मेरा बचपना- 4 साल तक काफी "बर्फी" के तरह गुजरा। नहीं, मुझे पैसे नहीं दिए गए हैं बर्फी का विज्ञापन करने के लिए नहीं तोह आप सोचेंगे की चित्रहार भी आज ही रिलीज़ हुआ है और इसने अपने ब्लॉग में भी आज ही फिल्म का नाम भी लिया है। :-) मैंने पहली बार अपनी ज़िदगी में 4 साल की उम्र के बाद जा के बोला था। जब की आम तौर पे बच्चे 2 से 2.5 साल की उम्र में बात करना शुरू कर देते हैं। चाहे तोत्लाके या हक्लाके। मेरी माँ मुझे बताती है की उन्होंने सारे उपाय आजमा लिए थे मुझपे की कुछ न कुछ कर के मैं बोल पडून। पर एक दिन, जब भगवान की मर्ज़ी हुई तोह मैं एक्दम से बोल पड़ा की "मम्मी, मुझे खाना दे दीजिये। भूक लगी हैं". किसी ने सही ही कहा है की पेट के लिए आदमी किसी भी हद्द तक जा सकता है। एक गूंगा भी बोल पड़ा अपने पेट के लिए उस दिन। हाहा! पर तब भी मैं ठीक तरह से बात नहीं कर पाता था। थोडा तोतलापन और हकलापन मेरी आवाज़ में फिर भी था। थोडा अंश अब भी बाकी हैं पर काफी कम्। बोल बोल के मैंने अपनी उन कमियों को दूर कर लिया है।
आप सोच रहे होंगे की ये बात मैंने आपको बताई ही क्यूँ है। मेरे बचपने से और मेरे पहली बार बोलने से क्या लेना देना है आपका। बात ये है की आज हिंदी दिवस है। 14 सितम्बर हमेशा से हिंदी दिवस के तौर पे मनाया जाता है क्यूंकि आज ही के दिन इस भाषा को हमारी राष्ट्र भाषा के तौर पे चुन लिया गया था। और क्यूंकि ये मेरी मात्र भाषा है मुझे लगा की आज के दिन मैं कोशिश करता हूँ क कुछ हिंदी में लिखूं। मुश्किलें जरूर आ रही हैं क्यूंकि हिंदी में लिखना आसन नहीं है जब आपने 680 बार अंग्रेजी में लोगों को पकाया हो। :-) लेकिन मात्र भाषा के प्रेम के लिए तोह राज thackeray ने अपना नाम बदनाम कर रक्खा है मैं तोह फिर भी एक ब्लॉग ही लिख रहा हूँ हिंदी में। :-) आज मेरी रोजी रोटी अंग्रेजी से ही चल रही है और इससे ही चलेगी। चाहे हैं कंप्यूटर वर्ग में जाऊं या लेखक ही क्यूँ न बन जाऊं। पर फिर भी जब दिल की बात करने का समय आता है तब अंदर से हिंदी भाषा ही उभर के आती है। और अगर गुस्सा आये तोह हिंदी गालियों से अच्छी गालियाँ किसी और भाषा में है, मुझे तोह नहीं लगता। और अगर है तोह मैं वोह भाषा सीखने के लिए काफी उत्सुक हूँ। :-)
काफी प्यारी भाषा है हिंदी। पर ये बदनाम है कुछ हिंदी भाषीय लोगों के वजह से ही क्यूंकि वो अपनी भाषा छोड़ना ही नहीं चाहते चाहें किसी भी राज्य में क्यूँ न चलें जाएँ। ये बहुत ही गलत बात है और इसका सभी को अनुरोध भी करना चाहिए। जब आप किसी माहौल में रहते हैं तोह आपको पूरी कोशिश करनी चाहिए की आप उस माहौल के लोगों की तरह जीयें और उन्हें अपने रिवाजों और रहें सहें के बारे में भी बताएं। इससे अलग अलग culture और रस्मों के लोग आपस में वार्तालाप करने लगते हैं और उनका एक दुसरे की और प्रेम बढ़ता है। अब अगर आप अपने ही इर्ष्य और घमंड में रहेंगे और अपनी भाषा नहीं छोड़ेंगे तोह एक दिन आपको आपकी भाषा वाले ही छोड़ के निकल लेंगे "ये दुनिया बहुत ज़ालिम है, गैतोंदे साहब". उम्मीद है की आपको ये dialogue याद है। :-) मेरा मानना तोह यह है की अगर इंसान पसंद आ जाए तोह किसी भाषा के होने की जरुरत भी नहीं है एक दुसरे को समझने के लिए। मैंने काफी जोड़ियों को देखा है जो दो अलग अलग भाषा बोलते हैं लेकिन फिर भी एक दुसरे से मोहब्बत कर बैठे और आज एक सफल वैवाहिक जीवन जी रहे हैं। उनका सारा समय एक दुसरे को अपनी भाषा सीखाने में ही निकल जाता है। तोह हिंदी या किसी भी भाषा को लेकर मन में मुटाव नहीं रखना चाहिए। आज हमारे राष्ट्र भाषा का दिन है इसे सभी को मिल के मनाना चाहिए और प्रोत्साहित करना चाहिए हर किसी को की सारी भाषाओं की बराबर इज्जत और सम्मान अपने दिल में उजागर रखनी छाहिये। आप सभी को हिंदी दिवस मुबारक हो। मेरे ज़िन्दगी का पहला वाक्य हिंदी में था, उम्मीद है की मरते दम भी कुछ हिंदी में ही बोल के निकलूं- "अच्छा तोह हम चलते हैं" :-)
धन्यवाद!
अभिलाष रूहेला - वीरू
1 CoMMenTs !!! - U CaN aLSo CoMMenT !!!:
baap-re itni saati Hindi. bohot accha laga ki tumhe itni acchi Hindi aati hai isse likhne ke liye tumne English to Hindi shabdkosh ka istemaal karna pada hoga(joke). bohot accha blog hai. or kya likhun? aaj mene bhi kucch-2 shabd Hindi me likhe hai. lekin pta nahi hindi me nahi likh paa rahi hoon mera keyboard English hai or mere pass software nahi hai jo me Hindi me type kar paun. jai hind. :)
Akankshi Mittal)
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